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Kabir Ke Dohe | कबीर दास के प्रसिद्ध दोहे | Shilpi Srivastava | मन को शांत कर देंगे ये दोहे | संत कबीर दास जयंती स्पेशल

2022-06-13 783 Dailymotion

महान संत कबीर के दोहे जीवन की सीख देते हैं। संत कबीर दास का हर दोहा अपने आप में मनका है। आपका मन कितना भी बेचैन हो, अगर आप भी इन भजनो को सुनेंगे तो आपका मन शांत हो जाएगा ।<br /><br />Credits : <br />Bhajan Name - Kabir Ke Dohe<br />Singer - Shilpi Srivastava<br />Music - Raj Mahajan<br />Lyrics - Traditional<br />Recording, Mixing and Mastering at Moxx music Studio By Ahraj Shah<br />Record Label - Moxx Music<br />Digital Partner - BinacaTunes Media Pvt Ltd<br />Producer - Ashwani Raj<br />Video Edited by Himanshu Gupta<br />Co-ordinator - Rita<br /><br />Kabir Ke Dohe Lyrics :-<br />गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाए,<br />बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय।<br />कबीर…गोविन्द दियो बताय।<br /><br />यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान,<br />सीस दिए से गुरु मिले, वो भी सस्ता जान।<br />कबीर…वो भी सस्ता जान।<br /><br />ऐसी वाणी बोलिये, मन का आप खोये,<br />औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होये।<br />कबीर…आपहु शीतल होये।<br /><br />बड़ा भया तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर,<br />पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।<br />कबीर…फल लागे अति दूर।<br /><br />निंदक नियरे राखिये, आँगन कुटी छवाए,<br />बिन साबुन पानी बिना, निर्मल करे सुभाए।<br />कबीर…निर्मल करात सुभाए।<br /><br />बुरा जो देखन मैं चला, बुरा ना मिल्या कोई,<br />जो मन देखा अपना, तो मुझसे बुरा ना कोई।<br />कबीर…तो मुझसे बुरा ना कोई।<br /><br />दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोई,<br />जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख कहे को होये।<br />कबीर…तो दुःख कहे को होये।<br /><br />माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोन्धे मोहे,<br />एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंधुंगी तोहे।<br />कबीर…मैं रोंधुंगी तोहे।<br /><br />मालिन आवत देख के, कलियाँ करे पुकार,<br />फूले फूले चुन लिए, काल हमारी बार।<br />कबीर…काल हमारी बार।<br /><br />माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर ।<br />कर का मन का डार दें, मन का मनका फेर <br />कबीर…मन का मनका फेर।<br /><br />साईं इतना दीजिये, जा में कुटुम समाय ।<br />मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय <br />कबीर…साधु ना भूखा जाय।<br /><br />लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट ।<br />पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट<br />कबीर…प्राण जाहिं जब छूट।<br /><br /> तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय |<br />कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, पीर घनेरी होय |<br />कबीर…पीर घनेरी होय।<br /><br />धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।<br />माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।<br />कबीर…ॠतु आए फल होय।<br /><br />माया मरी न मन मरा, मर मर गये शरीर।<br />आषा तृष्णा ना मरी, कह गये दास कबीर।<br />कबीर…कह गये दास कबीर।<br />

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